Monday, June 21, 2010

जांच के भय से तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक की नई चाल,

CNEB के राजनीतिक सम्पादक से पूछे-भैया, कुलपति को भेजे पत्र पर हस्ताक्षर आप का ही है,आप भेजे हैं ?
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
CNEB न्यूज चैनल पर एक खोजपरक कार्यक्रम “चोरगुरू” की लगभग डेढ़ दर्जन कड़ियां दिखाई जा चुकी हैं।जिसमें सुनामधन्य पूर्व कुलपतियों,प्रोफेसरों,रीडरों, लेक्चररों के नकलचेपी कारनामो का पर्दाफाश किया गया। जिसमें यह भी दिखाया गया कि कैसे नकलची प्रोफेसरो,रीडरों, लेक्चररों, उनकी नकलकरके बनाई गई पुस्तकों को छापने वाले प्रकाशकों,सप्लायरों और इनको प्रश्रय व संरक्षण देने वाले कुलपतियों का रैकेट बन गया है।जिसके चलते विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में ऐसे अध्यपकों की नकचेपी पुस्तकों की प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रूपये की खरीद हो रही है।जिसमें लगभग 300 करोड़ रूपये कुलपतियों,अध्यापकों,कुलसचिवों, लेखाधिकारियों,पुस्तकालयाध्यक्षों के बीच घूस के तौर पर बंट जाने का आरोप है।
चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामों, उनकी पुस्तकों को छापने, सप्लाई करने वालो,उनकी पुस्तकें खरीदवाने वाले कुलपतियों के पूरे रैकेट की जांच कराने के लिए CNEB न्यूज चैनल ने राज्यपालों,मंत्रियों, कुलपतियों को लगातार सप्रमाण पत्र लिखा है। इस पत्र पर CNEB न्यूज चैनल के राजनीतिक सम्पादक प्रदीप सिंह का हस्ताक्षर है।
ऐसा ही एक-एक पत्र उ.प्र.के राज्यपाल और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति के यहां भी रिसिव कराये गये हैं। कहा जाता है कि राज्यपाल के यहां से संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र गया है।जिसमें मैटरचोरी करके पुस्तकें ,शोध-प्रबंध लिखने वाले प्रोफेसरों,रीडरों,लेक्चररों के नकलचेपी आदि कारनामों की जांच कराने का निर्देश है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के पत्रकारिता विभागों(इस वि.वि. के छोटे से कैम्पस में पत्रकारिता का दो विभाग चलता है, दोनो में ही एक ही डिग्री दी जाती है, दोनो के अलग-अलग हेड हैं) के प्रो.राममोहन पाठक और रीडर अनिल कुमार उपाध्याय के नकलचेपी कारनामो को CNEB न्यूज चैनल पर कई एपीसोड में दिखाया गया था। अब राज्यपाल के यहां से इस नकलचेपी आदि कारनामो की जांच कराने का दबाव पड़ रहा है तो कुलपति को जांच कराना ही पड़ेगा। सो कहा जाता है कि इससे प्रो.राममोहन पाठक की बैचैनी बढ़ गई है। सो वह अन्दर-अन्दर एक और शातिर चाल चलने का उपक्रम कर रहे हैं। चाल यह है कि राज्यपाल और कुलपति को जांच कराने के लिए पत्र लिखने वाले लोग यदि किसी तरह कह दें कि पत्र उनने नहीं लिखा है, पत्र पर उनका हस्ताक्षर नहीं है, किसी ने उनके लेटर हेड पर लिखकर भेज दिया है,तो सारा मामला उलट जायेगा। जांच के लिए घिसट रही फाइल रद्दी की टोकरी में चली जायेगी। तथाकथित चोर गुरूवे फिर सीना ठोककर वही कदाचार , धंधा करने लगेंगे।


इसी चाल के तहत जो उपक्रम हो रहे हैं उसका एक प्रमाण है सांसद हर्षवर्धन (तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक के रिश्तेदार ने सांसद हर्षवर्धन से क्या कहा) को किया गया फोन ।
दूसरा प्रमाण है CNEB न्यूज चैनल के राजनीतिक सम्पादक प्रदीप सिंह को 03जून2010 को किया गया फोन।
प्रदीप सिंह को फोन प्रो.राममोहन पाठक ने किया था।उन्होने कहा कि आपको कल भी फोन किया था ,उठाये नहीं।जिस पर प्रदीप सिंह ने कहा कि बताइये क्या बात है। राममोहन पाठक ने उनसे घुमाफिराकर पूछा कि कुलपति , राज्यपाल के यहां जो पत्र गया है उस पर आप का हस्ताक्षर है,आपने भेजा है।प्रदीप सिंह ने कहा - हां मैंने ही भेजा है, पहले भी मैंने ही भेजा था।


सबंधित खबर-


तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक के रिश्तेदार ने सांसद हर्षवर्धन से क्या कहा


तथाकथितचोरगुरू राममोहन पाठक को मा.प.वि.वि. महापरिषद सदस्य बनाने की तैयारी


का गुरू ,का राममोहन पाठक चोरगुरू हैं ? देखें CNEB पर


प्रो.राममोहन पाठक पर मूर्ति चोरी का आरोप ?

क्या प्रो. राम मोहन पाठक ने शपथ पत्र में सच नहीं लिखा है?


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जुगाड़ कला के बदौलत कुलपति बनने की कोशिश


कुलपति जी,भाग रहे प्रो.राम मोहन से बात करने को कहे...